पूरे सावन माह में शिव मंदिरों में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। प्रत्येक शिव मंदिर का अपना-अपना इतिहास है। उज्जैन का श्री प्रयागेश्वर महादेव मंदिर कई मान्यताओं से जुड़ा है।
श्री प्रयागेश्वर महादेव पवित्र शहर उज्जैन में पाया जाने वाला एक अद्भुत मंदिर है। श्री प्रयागेश्वर महादेव को 84 महादेवों में 58वां स्थान प्राप्त है। कहा जाता है कि यहां आकर श्रद्धा अर्पित करने से सारे पाप मिट जाते हैं। इस शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यदि माघ माह में यहां भक्ति की जाए तो भक्तों को अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है
यह मंदिर राजामल घाट के जूना सोमवारिया पड़ोस में स्थित है। श्री तिलकेश्वर महादेव मंदिर के सामने की पक्की सड़क वाल्मिकी धाम से कुछ ही दूरी पर है। यहां वीर बेताल और विक्रम की मूर्ति भी पाई जा सकती है।
शिवलिंगों की रक्षा फन वाले नाग करते हैं
श्री प्रयागेश्वर महादेव मंदिर में भगवान की अद्भुत एवं चमत्कारिक प्रतिमा विराजमान है। पंडित सुधीर व्यास के अनुसार, मंदिर में भगवान प्रयागेश्वर महादेव की एक चमत्कारिक प्रतिमा के साथ-साथ पीतल की पांच फन वाली नाग की आकृति भी है जो भगवान प्रयागेश्वर को छाया प्रदान करती है। पास में ही 3 फुट ऊंचा पीतल का त्रिशूल और एक डमरू गड़ा हुआ है।
तीर्थराज प्रयागराज के सामने गर्भगृह में दाहिनी ओर देवी पार्वती तथा बायीं ओर गणेश जी की मूर्तियाँ हैं। बाहर संगमरमर के नंदी विराजमान हैं। मंदिर मार्ग के बाईं ओर एक साधारण मंदिर में आज्ञावीर वेताल की एक सुंदर मूर्ति स्थापित है। दाहिनी ओर राजा विक्रम की मुण्डित मूर्ति भी है। जबकि पास में ही पुराने तांत्रिक हनुमान का मंदिर भी स्थित है।

श्री प्रयागेश्वर महादेव की कथा – प्रयागेश्वर महादेव मंदिर
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में मनु नाम के एक राजा थे। उनका पुत्र प्रियवत बड़ा होकर बहुत धर्मात्मा राजा बना। उन्होंने दान दक्षिणा देकर यज्ञ कराया और अपने सात पुत्रों को सात द्वीपों का राजा नियुक्त किया। और उन्होंने तपस्या करने के लिए बद्रीनारायण के विशाल महानगर की यात्रा की। वे वहीं तपस्या में लीन हो गये।
एक दिन नारद आये और उन्होंने राजन से कहा, श्वेत द्वीप की झील में एक लड़की के पास जाकर मैं अपना सारा वैदिक ज्ञान भूल गया। तब नारद ने लड़की की पहचान के बारे में पूछताछ की। तब उसने बताया कि उसका नाम सावित्री माता है।
नारद ने दावा किया कि स्वयं सावित्री माता ने उनसे वेद सीखने के लिए प्रयाग जाने का आग्रह किया था और सारी शक्ति वहीं प्राप्त होगी। इसके बाद, नारद जी ने अनुरोध किया कि राजा उन्हें वेदों और शक्तियों के सभी ज्ञान का कोई समाधान बताएं।
तब राजा ने उत्तर दिया, “तुम महाकाल वन में जाओ।” वहाँ प्रयाग के राजा बैठे हैं। साथ ही सनातन ज्योतिष के स्वरूप में लिंग भी है। प्रयागेश्वर महादेव मंदिर में प्रयाग राजा के नाम से पूजा करें, जिसका भविष्य में नाम बदला जाएगा।